What is the concept of Syadvada in Jain?

1803,2024

स्यादवाद 

अर्थ:-  स्यादवाद एक ऐसी विचारधारा है जो यह मानता है कि ज्ञान देश ,काल व दृष्टिकोण सापेक्ष होता है। वस्तुतः यह ज्ञान की सापेक्षिकता का सिद्धान्त है।

प्रतिपादन क्यो ?⇒ क्योंकि

(1) मानव अपूर्ण है। वह किसी भी विषय के सभी पक्षों को एक ही समय में नहीं जान सकता अतः उसका ज्ञान अपूर्ण है। इस अपूर्ण ज्ञान को 'नय" कहा जाता है। उसका ज्ञान देश,काल व दृल्टिकोण सापेक्ष होता है।

(2) किसी भी विषयवस्तु के संबंध में विचार निरपेक्ष (Absolute) नहीं होता ब‌ल्कि समय के अनुरूप बदलता रहता है। जैसे- कोई पदा‌धिकारी एक दृष्टि से अधीनस्थ है तो दूसरे दृष्टि से सबका बॉस होता है। एक ही व्यक्ति पिता और पुत्र दोनों है वह अपने पुत्र की दृष्टि से पिता है और पिता की दृष्टि से पुत्र है।

(3) किसी वस्तु के अनेक पक्ष होते हैं। प्रत्येक वस्तु सत् एवं असत् दोनों होते हैं। वस्तु अपने स्वरुप की दृष्टि से सत् है। परन्तु अन्य वस्तु के स्वरूप की दृष्टि से असत् है। अतः उस वस्तु के संबंध में विचार देश-काल एवं दृष्टिकोण सापेक्ष होता है।

क्या स्यादवाद अनेकान्तवाद की ओर संकेत करता है? ⇒ हाँ क्योंकि मानव का ज्ञान देश,काल एवं दृष्टिकोण सापेक्ष होता है अर्थात् उसका ज्ञान हर देश एवं काल में सत्य नहीं होता क्योंकि मानव का ज्ञान 'अपूर्ण है। अर्थात् मानव एक ही समय के में किसी वस्तु के सभी पक्षों को नहीं जान सकता अर्थात् वस्तु के अनेक धर्म होते हैं और अनेक धर्मो को मानना ही अनेकान्तवाद है।

अपूर्ण ज्ञान को व्यक्त करने पर उत्पन्न समस्या का समाधान करने हेतू जैनियों ने क्या सुझाव दिये ?⇒  इसके लिए जैनियों ने 'स्यात्' शब्द के प्रगोग पर बल दिया है. यहाँ स्यात शब्द संशय का सूचक नहीं है बल्कि देश,काल एवं दृष्टिकोण सापेक्षिकता का सूचक है। जैसे यह कहा जाए कि मैं पढ़ रहा हूँ" तो यह भ्रम पैदा होता है कि मैं 24 घण्टे से पढ़ रहा हूँ  , इसलिए इस भ्रम से बचने के लिए "स्थात मैं पढ़ रहा हूँ" कहना ज़्यादा तर्कसंगत है। स्थात शब्द के प्रयोग से 7 परामर्श बनते हैं जिसे सप्तभंगीनय' कहा जाता है। 

  •  स्यात् अस्ति च → अर्थात् एफ दृष्टि से सत्ता है।
  • स्यात् नास्ति च → अर्थात् दूसरी दृष्टि से सत्ता नहीं है।
  •  स्यात् अस्ति च नास्ति च → एक दृष्टिकोण से सत्ता है दूसरी दृष्टि से सत्ता नहीं है।
  •  स्यात् अव्यक्तम् च → अर्थात् विषयवस्तु के स्पष्ट ना होने पर अव्यक्तम् च का प्रयोग किया जाता है।
  •  स्थात्, अस्ति च, अव्यक्तम् च → अर्थात् एक दृहित से सत्ता है, दूसरे दृष्टि से सत्ता अव्यक्त है।
  •  स्यात्  नास्ति च, अव्यक्तम् च → अर्थाद एक दृष्टि से सत्ता नहीं है व दूसरे दृष्टि से अव्यक्त  है।
  •  स्यात् अस्ति च, नास्ति च, अव्यक्तम् च → अर्थात् एक दृष्टि से सत्ता है, दूसरी  दृष्टि से सत्ता नहीं है, तीसरे दृष्टि से अव्यक्त है।

क्या स्यादवाद  संशयवाद है? ⇒ स्यादवाद संशयवाद नहीं है क्योंकि जहाँ संशयवाद प्रत्येक वस्तु परः संशय करता है। वहीं  स्यादवाद किसी विषय वस्तु पर संशय नहीं करता बल्कि  उसकी वास्तविकता को स्वीकार करता है। किन्तु स्यादवाद कहता है कि किसी वस्तु के प्रति विचार देश, काल व दृष्टिकोण सापेक्ष होता है।.

 क्या स्यादवाद वस्तुवाद है ? ⇒ स्यादवाद बाह्य  वस्तुओं की सत्ता स्वीकार करता है। और उसे आमा पर निर्भर नहीं मानता अर्थात् आत्मा रहे या ना रहे उनं बाह्य वस्तुओं  की सत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़‌ता किन्तु स्यादवाद  यह मानता हैं कि उस विषयवस्तु के प्रति विचार देशकाल. एवं द्रष्टिकोण सापेक्ष होता है।

03:04 am | Admin


Comments


Recommend

Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

What is the travel literature of Hiuen Tsang?

HISTORY

ह्वेनसांग का यात्रा वृत्तांत  ह्वेनसांग एक यात्री था जो 7वीं शताब्दी में बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण करने तथा महत्त्वपूर्ण बौद्ध ...

0
Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

What is the full story of APJ Abdul Kalam?

biography

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जीवन परिचय : -  अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम था। इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु क...

0

Subscribe to our newsletter